Protests erupt outside Kasba Police station as 3 arrested in alleged Kolkata college gang rape
जहां देश में औसतन उपभोग वृद्धि दर 3.5 फीसदी है, वहीं बंगाल में यह 5.39 फीसदी दर्ज की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ममता बनर्जी की योजनाओं के तहत सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में पैसे पहुंचने से ग्रामीण परिवार अब सिर्फ चावल और दाल तक सीमित नहीं हैं।
कोलकाता। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार और घरेलू उपभोग में वृद्धि के मामले में बंगाल ने पूरे देश को पीछे छोड़ दिया है। केंद्र सरकार की नई हाउसहोल्ड कंजम्पशन एक्सपेंडिचर सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, बंगाल में ग्रामीण परिवारों का उपभोग राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक बढ़ा है। इस सफलता का श्रेय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की योजनाओं, जैसे लक्ष्मी भंडार और कन्याश्री, को दिया गया है।
जहां देश में औसतन उपभोग वृद्धि दर 3.5 फीसदी है, वहीं बंगाल में यह 5.39 फीसदी दर्ज की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ममता बनर्जी की योजनाओं के तहत सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में पैसे पहुंचने से ग्रामीण परिवार अब सिर्फ चावल और दाल तक सीमित नहीं हैं। उनकी क्रय शक्ति बढ़ने से मछली, मांस, दूध जैसे खाद्य पदार्थों के साथ-साथ टीवी, फ्रिज और मोबाइल फोन जैसे स्थायी उपभोक्ता वस्तुओं की खरीद भी बढ़ी है।
लक्ष्मी भंडार, कन्याश्री, कृषक बंधु और वृद्धावस्था पेंशन जैसी योजनाओं ने बंगाल के लोगों के जीवन में बड़ा बदलाव लाया है। बंगाल की योजनाओं से प्रेरित होकर महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और दिल्ली सहित कई राज्यों ने ऐसी ही योजनाएं शुरू की हैं। यहां तक कि भाजपा शासित राज्यों को भी ममता की योजनाओं का अनुसरण करना पड़ा है।
केंद्रीय रिपोर्ट के अनुसार, पूरे देश में प्रति व्यक्ति वार्षिक उपभोग तीन हजार 860 से बढ़कर चार हजार 247 हो गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह वृद्धि 3.5 फीसदी है, जबकि बंगाल में यह 5.39 फीसदी तक पहुंच चुकी है। यह दर्शाता है कि नकद सहायता योजनाएं ग्रामीण बाजारों में आर्थिक गतिविधियों और मांग को बढ़ाने में सफल रही हैं।
यह रिपोर्ट ममता बनर्जी की नीतियों की सफलता को रेखांकित करती है और यह साबित करती है कि उनका जनकल्याणकारी दृष्टिकोण बंगाल के विकास का मजबूत आधार है।